Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2022 · 1 min read

मुक्तक

एक मुक्तक

आइने के अगर आप घर जाएँगे।
सोच कर जाइये कब उधर जाएँगे।
फर्क होगा जवानी बुढ़ापे में यह-
या सँवर जाएँगे या तो डर जाएँगे।।

अभय कुमार “आनंद”
विष्णुपुर,पकरिया,बाँका,बिहार
वर्तमान पता-लखनऊ,उत्तरप्रदेश

Language: Hindi
2 Likes · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
Pramila sultan
2379.पूर्णिका
2379.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Never forget
Never forget
Dhriti Mishra
- वह मूल्यवान धन -
- वह मूल्यवान धन -
Raju Gajbhiye
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फूल है और मेरा चेहरा है
फूल है और मेरा चेहरा है
Dr fauzia Naseem shad
होके रुकसत कहा जाओगे
होके रुकसत कहा जाओगे
Awneesh kumar
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
मैं खुद से कर सकूं इंसाफ
मैं खुद से कर सकूं इंसाफ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
जल है, तो कल है - पेड़ लगाओ - प्रदूषण भगाओ ।।
जल है, तो कल है - पेड़ लगाओ - प्रदूषण भगाओ ।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
कल की चिंता छोड़कर....
कल की चिंता छोड़कर....
जगदीश लववंशी
चांद को तो गुरूर होगा ही
चांद को तो गुरूर होगा ही
Manoj Mahato
नन्हें बच्चे को जब देखा
नन्हें बच्चे को जब देखा
Sushmita Singh
"इंसानियत"
Dr. Kishan tandon kranti
रिवायत
रिवायत
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
Shweta Soni
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हूं तो इंसान लेकिन बड़ा वे हया
हूं तो इंसान लेकिन बड़ा वे हया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
चट्टानी अडान के आगे शत्रु भी झुक जाते हैं, हौसला बुलंद हो तो
चट्टानी अडान के आगे शत्रु भी झुक जाते हैं, हौसला बुलंद हो तो
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*जरा काबू में रह प्यारी,चटोरी बन न तू रसना (मुक्तक)*
*जरा काबू में रह प्यारी,चटोरी बन न तू रसना (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सब पर सब भारी ✍️
सब पर सब भारी ✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
राम भजन
राम भजन
आर.एस. 'प्रीतम'
व्यर्थ विवाद की
व्यर्थ विवाद की
*Author प्रणय प्रभात*
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
Rashmi Ranjan
मूल्य वृद्धि
मूल्य वृद्धि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
Anil chobisa
*जिंदगी*
*जिंदगी*
Harminder Kaur
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
Loading...