मुक्तक
मेरे भारत के सीने में नफ़रत के तीर को ,
छोड़ गया गांधी ही इस मर्ज़ बवासीर को ,
लाखों हिंदू का गला काट ज़जिया वसूले
पूजते हैं आज भी उसी ख्वाज़ा, पीर को ,,
मेरे भारत के सीने में नफ़रत के तीर को ,
छोड़ गया गांधी ही इस मर्ज़ बवासीर को ,
लाखों हिंदू का गला काट ज़जिया वसूले
पूजते हैं आज भी उसी ख्वाज़ा, पीर को ,,