*मुक्तक*
भूखे रहे, प्यास रहे और सोये घास के बिछौने पर ।
जंगल जंगल भटके चाहे मग़र आज़ाद रहे हमेशा ।।
अकबर दुश्मन होकर भी रोया था जिनकी मौत पर ।
भारत माँ का वीर सपूत महाराणा प्रताप था ऐसा ।।
भूखे रहे, प्यास रहे और सोये घास के बिछौने पर ।
जंगल जंगल भटके चाहे मग़र आज़ाद रहे हमेशा ।।
अकबर दुश्मन होकर भी रोया था जिनकी मौत पर ।
भारत माँ का वीर सपूत महाराणा प्रताप था ऐसा ।।