मुक्तक
यह उलझनों से तो कभी प्यार से गुज़रती है
हमारी ज़िंदगी हर रोज़ रफ़्तार से गुज़रती है,
बड़ा मुश्किल होता रिश्तों को संभाले रखना
रिश्तों की डोर शब्दों के तलवार से गुज़रती है
यह उलझनों से तो कभी प्यार से गुज़रती है
हमारी ज़िंदगी हर रोज़ रफ़्तार से गुज़रती है,
बड़ा मुश्किल होता रिश्तों को संभाले रखना
रिश्तों की डोर शब्दों के तलवार से गुज़रती है