मुक्तक
राधा सी जो प्रीत मिले मन वृन्दावन सा हो जाए
बरसे नेह की बरखा पतझड़ भी सावन हो जाए
बसा हुआ हो हृदय में, यदि कृष्ण-सा पावन प्रेम
चहके फूलों की क्यारी,उपवन सा आँगन हो जाए
राधा सी जो प्रीत मिले मन वृन्दावन सा हो जाए
बरसे नेह की बरखा पतझड़ भी सावन हो जाए
बसा हुआ हो हृदय में, यदि कृष्ण-सा पावन प्रेम
चहके फूलों की क्यारी,उपवन सा आँगन हो जाए