मुक्तक
मानवता की कब्र पर नैतिकता के मुर्दे जलाते हैं
फूहड़ चुटकुले सुनाकर कुछ तालियाँ भी पाते हैं
हमने, हमारी कलम ने कभी ये शौक नहीं पाला
हमें गर्व है माँ भारती के सम्मान में शब्द सजाते है
मानवता की कब्र पर नैतिकता के मुर्दे जलाते हैं
फूहड़ चुटकुले सुनाकर कुछ तालियाँ भी पाते हैं
हमने, हमारी कलम ने कभी ये शौक नहीं पाला
हमें गर्व है माँ भारती के सम्मान में शब्द सजाते है