मुक्तक
होती है क्या मोहब्बत एक बार करके देखो,
है बेचैनियाँ बढ़ानी तो फिर प्यार करके देखो,
किस्से बहुत से मिल जाते हैं लैला मझनू जैसे
प्रेम बावरी मीरा सा तुम इसबार करके देखो
होती है क्या मोहब्बत एक बार करके देखो,
है बेचैनियाँ बढ़ानी तो फिर प्यार करके देखो,
किस्से बहुत से मिल जाते हैं लैला मझनू जैसे
प्रेम बावरी मीरा सा तुम इसबार करके देखो