मुक्तक
तपकर और निखर जाने की हमने तो अब ठानी है,
हृदय मरुस्थल बना हुआ है, और नयनों में पानी है,
कठिन तपस्या है यह जीवन रिश्ते नातों के है बंधन
बातें बेशक़ अलग अलग पर सबकी एक कहानी है,,
तपकर और निखर जाने की हमने तो अब ठानी है,
हृदय मरुस्थल बना हुआ है, और नयनों में पानी है,
कठिन तपस्या है यह जीवन रिश्ते नातों के है बंधन
बातें बेशक़ अलग अलग पर सबकी एक कहानी है,,