मुक्तक
सजाकर शब्द की रोली से गीत का चंदन,
निभाए गोद में बैठे धरा से नेह का बंधन,
सृजन को सात रंगों में,सजाने चेतना आई
हृदय के तार झंकृत हो मन कर रहा मंथन,,
सजाकर शब्द की रोली से गीत का चंदन,
निभाए गोद में बैठे धरा से नेह का बंधन,
सृजन को सात रंगों में,सजाने चेतना आई
हृदय के तार झंकृत हो मन कर रहा मंथन,,