मुक्तक
दो मुक्तक
रंग
श्याम हैं कृष्ण कन्हैया, राधा रानी हैं गोरी
पीला सरसों ज्यो रंग, जैसी चाँद अँगोरी
पीला वसन चुनरी, काली कजरारी है नैन
वासंती हवा में झूमी निबोरी अमोरी |
बदरंग
गोपी संग गोपबाल, राधा संग मुरारी
रंग खेले मिलकर वे, नायक हैं बनवारी
रंग लगाकर कर दिया श्यामल को बदरंग
रंग है प्यार, गले से लगाया चक्रधारी |
© कालीपद ‘प्रसाद