मुक्तक
मुश्किलों से जूझने का शौक़ पाल के निकले,
राहे बगावत पत्थर सा जिग़र ढाल के निकले,
ना साजिशों का खौंफ है ना जंगे हश्र का उन्हें
जो घर से निकलते ही कफ़न डाल के निकले
मुश्किलों से जूझने का शौक़ पाल के निकले,
राहे बगावत पत्थर सा जिग़र ढाल के निकले,
ना साजिशों का खौंफ है ना जंगे हश्र का उन्हें
जो घर से निकलते ही कफ़न डाल के निकले