मुक्तक
उठाती लेखनी जब भी, सतत मै छंद लिखती हूँ।
तुम्हारे ही लिए प्रियवर, सुखद मकरन्द लिखती हूँ।
प्रियंवदा हूँ तुम्हारी मैं……हो तुम प्राणदा प्रियतम,,
प्रिय प्रीत की परिभाषा को,मै मंद मंद लिखती हूँ।।
….✒ #शिल्पीसिंह❤
उठाती लेखनी जब भी, सतत मै छंद लिखती हूँ।
तुम्हारे ही लिए प्रियवर, सुखद मकरन्द लिखती हूँ।
प्रियंवदा हूँ तुम्हारी मैं……हो तुम प्राणदा प्रियतम,,
प्रिय प्रीत की परिभाषा को,मै मंद मंद लिखती हूँ।।
….✒ #शिल्पीसिंह❤