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14 Sep 2021 · 1 min read

मुक्तक

बड़ा मासूम है चेहरा है, निगाहें हैं बड़ी कातिल।
छलकते होंठ के प्याले, किए जीना बड़ी मुश्किल।
तुम्हारी गेसुओं की छांव में, रहने की हसरत थी-
मगर किस्तम में कोई और थी, जो हो गयी हासिल।

सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य

Language: Hindi
1 Like · 190 Views
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