मुक्तक
अवधू कहता साफ-सफाई ,
नहीं मारता ढिल्ली |
आप उचित समझें इसको या ,
हँसें, उड़ायें खिल्ली |
सकल हिन्द को दूध समझिए ,
मक्खन निकले दिल्ली |
उस मक्खन की रक्षा करते ,
नेता बनकर बिल्ली ||
अवध किशोर ‘अवधू’
मो.न.9918854285