मुक्तक…
वक्त इधर काटे न कटे, उस पर है वक्त की कमी
छूने चला वो आसमां, यहाँ पाँव तले सरकी जमीं
उस बिन दुनिया वीरान, इस सच से वो अंजान है
काश देख पाए कभी वो, इन भीगी आँखों की नमी
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
वक्त इधर काटे न कटे, उस पर है वक्त की कमी
छूने चला वो आसमां, यहाँ पाँव तले सरकी जमीं
उस बिन दुनिया वीरान, इस सच से वो अंजान है
काश देख पाए कभी वो, इन भीगी आँखों की नमी
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद