“मुक्तक”…..
“मुक्तक* ….
शक तो था इसका पहले ही।
बाकी था दिलाना यकीन ही।
क्यों इस कदर फसते जा रहे,
बचाएगा अब कोई हकीम ही।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार
“मुक्तक* ….
शक तो था इसका पहले ही।
बाकी था दिलाना यकीन ही।
क्यों इस कदर फसते जा रहे,
बचाएगा अब कोई हकीम ही।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार