Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2021 · 1 min read

मुक्तक

वो पहले तो मिलने की कसमें खाने लगा
और फिर बिछड़ने के फायदे गिनाने लगा

वो महबूब नहीं था शायद कोई फरेबी था
वक्त गुजरते अपनी औकात में आने लगा

Language: Hindi
539 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
प्रयत्नशील
प्रयत्नशील
Shashi Mahajan
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
इश्क चख लिया था गलती से
इश्क चख लिया था गलती से
हिमांशु Kulshrestha
स्नेह - प्यार की होली
स्नेह - प्यार की होली
Raju Gajbhiye
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
VINOD CHAUHAN
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
कवि रमेशराज
दिनकर तुम शांत हो
दिनकर तुम शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जिंदा है हम
जिंदा है हम
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
3890.*पूर्णिका*
3890.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
Satish Srijan
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
Dr fauzia Naseem shad
प्यासा के हुनर
प्यासा के हुनर
Vijay kumar Pandey
"अच्छा शिक्षक"
Dr. Kishan tandon kranti
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
थोड़ी दूरी,
थोड़ी दूरी,
Sonam Puneet Dubey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
लगाव
लगाव
Arvina
Be valuable.
Be valuable.
पूर्वार्थ
सीख गुलाब के फूल की
सीख गुलाब के फूल की
Mangilal 713
*वीणा के स्वर मन में गूॅंजें, जीवन में सुर लय ताल रहे (राधेश
*वीणा के स्वर मन में गूॅंजें, जीवन में सुर लय ताल रहे (राधेश
Ravi Prakash
हर फूल खुशबुदार नहीं होता./
हर फूल खुशबुदार नहीं होता./
Vishal Prajapati
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
लक्ष्मी सिंह
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
.
.
*प्रणय*
आओ शाम की चाय तैयार हो रहीं हैं।
आओ शाम की चाय तैयार हो रहीं हैं।
Neeraj Agarwal
Loading...