मुक्तक
दुखों को दूर करने को जहां मंदिर मे जाता है!
अगर हो देश पर संकट तो सैनिक सिर कटाता है!
कि माता मुस्कुराये बस यही है फलसफा उनका,
शिकन हो माँ के मस्तक पर तो फिर खूं खौल जाता है!
……… ✍ सत्य कुमार ‘प्रेमी’
दुखों को दूर करने को जहां मंदिर मे जाता है!
अगर हो देश पर संकट तो सैनिक सिर कटाता है!
कि माता मुस्कुराये बस यही है फलसफा उनका,
शिकन हो माँ के मस्तक पर तो फिर खूं खौल जाता है!
……… ✍ सत्य कुमार ‘प्रेमी’