मुक्तक
1.
तनहाइयों का् मेरी, जिस दिन भी् अंत होगा!
उस दिन हि मेरे् दिल का, पतझड़ भि बंद होगा!
जीवन मे्ं मेरे् आयें, कितने बसंत सुन लो,
जिस दिन को् तुम मिलोगे, अपना बसंत होगा!
2.
तन सुंदर हो, मन सुंदर हो!
जीवन का हर, पल सुंदर हो!
जहाँ पड़े रज, चरण तुम्हारी,
घर आंगन बन, भी सुंदर हो!
….. ✍ सत्य कुमार ‘प्रेमी’