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18 Feb 2021 · 1 min read

मुक्तक

अपना ही सुख अपना ही हित, बैठ गया उर अन्तर में,
रघुकुल जैसा नेह और उत्सर्ग कहां से लाएंगे…

काव्य लेखनी कुंठित होगी, और सृजन होगा अवरुद्ध,
कैसे तुलसी वाल्मीक ऋषि रामायण रच पाएंगे…

भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान

Language: Hindi
2 Likes · 300 Views
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