मुक्तक
अपना ही सुख अपना ही हित, बैठ गया उर अन्तर में,
रघुकुल जैसा नेह और उत्सर्ग कहां से लाएंगे…
काव्य लेखनी कुंठित होगी, और सृजन होगा अवरुद्ध,
कैसे तुलसी वाल्मीक ऋषि रामायण रच पाएंगे…
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान
अपना ही सुख अपना ही हित, बैठ गया उर अन्तर में,
रघुकुल जैसा नेह और उत्सर्ग कहां से लाएंगे…
काव्य लेखनी कुंठित होगी, और सृजन होगा अवरुद्ध,
कैसे तुलसी वाल्मीक ऋषि रामायण रच पाएंगे…
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान