मुक्तक
1222 122, 2 122
रमा साहित्य में मैं, इस कदर हूँ।
भटकता मैं नही अब, दर बदर हूँ।
सदा लेखन करूँ मैं, आज घर पर,
लिखूँ मैं आज शब्दों, को मधुर हूँ।
1222 122, 2 122
रमा साहित्य में मैं, इस कदर हूँ।
भटकता मैं नही अब, दर बदर हूँ।
सदा लेखन करूँ मैं, आज घर पर,
लिखूँ मैं आज शब्दों, को मधुर हूँ।