मुक्तक
चले आओ सजन मेरे तुम्हारी याद आती है
पड़े है बाग में झूले हवाएं राग गाती हैं
कहे पायल न ठुकराओ कहे कंगना न बिसराओ,
घिरी है रात पूनम की चँदनिया दिल जलाती है
अभिनव मिश्र”अदम्य
चले आओ सजन मेरे तुम्हारी याद आती है
पड़े है बाग में झूले हवाएं राग गाती हैं
कहे पायल न ठुकराओ कहे कंगना न बिसराओ,
घिरी है रात पूनम की चँदनिया दिल जलाती है
अभिनव मिश्र”अदम्य