मुक्तक
‘पूछता है भारत’ कब तक करोगे तिज़ारत
मुद्दे के नाम पे टुच्चे बहस और सियासत ।
गले फाड़ कर जो ब्रेकिंग न्यूज़ हो दिखाते
क्या ऐसे ही करोगे तुम सच की हिफाज़त।
-अजय प्रसाद
ग्लैमर की गलीज गलियों मे गुमनाम हैं कई
चकाचौंध के पीछे छिपे हुए बदनाम हैं कई।
बेहद खोखली खुशि और बनावट की हँसी
हक़ीक़त है यहाँ यारों नमक हराम है कई ।
-अजय प्रसाद
हिन्दी की अहमियत की बात करतें हैं
आप तो मासूमियत की बात करतें है ।
जहाँ पावन्न्दियाँ है हिंदि बोलने पर भी
उस जगह हिंदि दिवस बात की करतें हैं ।
-अजय प्रसाद