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16 Sep 2020 · 1 min read

मुक्तक

रूह कांपे दिल मचलता एक तड़प सीने में है
भूखे प्यासे दर भटकना क्या मजा जीने में है
आंख से छलके ना आंसू गम है साया घना
जब नशा चढ़ता तो फिर क्या मजा पीने में है

Language: Hindi
6 Likes · 259 Views
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