मुक्तक
हॅंसीं खूबसूरत थी उसकी
वो लड़की से माॅं हो रही थी
~ सिद्धार्थ
इस वक़्त के दरम्यान साथी दरारे ही दरारें है
जिधर देखो बस भूख ने हाॅंथ अपने पसारे हैं
~ सिद्धार्थ
इश्क का कोई इलाज नहीं ये इश्क़ तो लाईलाज है
इश्क में जो यार के दोष को धूने साला वो तो कमज़ात
~ सिद्धार्थ