मुक्तक
दो दिल के दरमियान ये नफरत ही मिलाते,
मजहब के नाम पर हमें आपस में लड़ाते।
मक्कार बड़े हैं सफेदपोश वतन के,
ये जब भी चाहें बस्तियों में आग लगाते।।
✍️विपिन शर्मा
दो दिल के दरमियान ये नफरत ही मिलाते,
मजहब के नाम पर हमें आपस में लड़ाते।
मक्कार बड़े हैं सफेदपोश वतन के,
ये जब भी चाहें बस्तियों में आग लगाते।।
✍️विपिन शर्मा