Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरे दर्द को मैं ईनाम समझ लेता हूँ!
तेरे प्यार को मैं इल्जाम समझ लेता हूँ!
सब्र टूट जाता है जब कभी पैमानों का,
जिन्दगी को मयकशे-जाम समझ लेता हूँ!

#महादेव_की_कविताऐं'(25)

Language: Hindi
353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

Kharaila Vibhushan Pt. Tripurari Mishra is passes away in morning
Kharaila Vibhushan Pt. Tripurari Mishra is passes away in morning
Rj Anand Prajapati
करती गहरे वार
करती गहरे वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मुलाज़िम सैलरी पेंशन
मुलाज़िम सैलरी पेंशन
Shivkumar Bilagrami
!! आराम से राम तक !!
!! आराम से राम तक !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
Basant Bhagawan Roy
सास खोल देहली फाइल
सास खोल देहली फाइल
नूरफातिमा खातून नूरी
बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
कांतिमय यौवन की छाया
कांतिमय यौवन की छाया
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
छात्रों की पीड़ा
छात्रों की पीड़ा
पूर्वार्थ
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
पंकज कुमार कर्ण
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
सुख धाम
सुख धाम
Rambali Mishra
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
Kanchan Khanna
* जिन्दगी *
* जिन्दगी *
surenderpal vaidya
कल की फ़िक्र को
कल की फ़िक्र को
Dr fauzia Naseem shad
शोख लड़की
शोख लड़की
Ghanshyam Poddar
4597.*पूर्णिका*
4597.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
"तुम्हें कितना मैं चाहूँ , यह कैसे मैं बताऊँ ,
Neeraj kumar Soni
अवचेतन और अचेतन दोनों से लड़ना नहीं है बस चेतना की उपस्थिति
अवचेतन और अचेतन दोनों से लड़ना नहीं है बस चेतना की उपस्थिति
Ravikesh Jha
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
रुपेश कुमार
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय*
थोड़ा अदब भी जरूरी है
थोड़ा अदब भी जरूरी है
Shashank Mishra
विधा -काव्य (हाइकु)
विधा -काव्य (हाइकु)
पूनम दीक्षित
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
जय लगन कुमार हैप्पी
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
अनिल कुमार निश्छल
अपना ही ख़ैर करने लगती है जिन्दगी;
अपना ही ख़ैर करने लगती है जिन्दगी;
manjula chauhan
*खादी ने अनुपम काम किया, चरखे ने कब विश्राम किया (राधेश्यामी
*खादी ने अनुपम काम किया, चरखे ने कब विश्राम किया (राधेश्यामी
Ravi Prakash
आ जाओ गणराज
आ जाओ गणराज
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
Loading...