मुक्तक
ये तहजीब की नगरी है यहां लोग संस्कारी हैं
बिखरे को सम्भाले यहां ऐसे परोपकारी हैं
हम कह नही सकते कि जमाना दकियानूस है
घर बाहर दोनों को सम्भाले यहां ऐसी नारी हैं
नूरफातिमा खातून “नूरी”
ये तहजीब की नगरी है यहां लोग संस्कारी हैं
बिखरे को सम्भाले यहां ऐसे परोपकारी हैं
हम कह नही सकते कि जमाना दकियानूस है
घर बाहर दोनों को सम्भाले यहां ऐसी नारी हैं
नूरफातिमा खातून “नूरी”