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10 Apr 2020 · 1 min read

मुक्तक

1.
मुहब्बत यूं ही रह गया दुकान के आले में
नफरत हाथों हांथ बिक गया बस दिखाने में
~ सिद्धार्थ

2.
मेरे अंदर का इंसान मुझे आज अंधेरे में रहने को मजबूर कर रहा है।
मौत को उत्सवित करूं उतनी अभी चालाक नहीं हुई
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 190 Views
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