मुक्तक
जिस्म है मेरा मगर जिन्दगी तुम्हारी है!
तेरे बगैर तन्हा हर खुशी हमारी है!
सुलग रही है साँसों में आग चाहतों की,
शामे-मयकशी भी मेरी लाचारी है!
#महादेव_की_कविताऐं’
जिस्म है मेरा मगर जिन्दगी तुम्हारी है!
तेरे बगैर तन्हा हर खुशी हमारी है!
सुलग रही है साँसों में आग चाहतों की,
शामे-मयकशी भी मेरी लाचारी है!
#महादेव_की_कविताऐं’