मुक्तक
मैं दिल हो जाऊं तो तुम दर्द कहो
होठो से चुप मगर आंखो से कहो
सुबकते ख्वाब को महकता गुलाब कहो
शाम के धुंधलके को सुबह का अफताब कहो
~ पुर्दिल
मैं दिल हो जाऊं तो तुम दर्द कहो
होठो से चुप मगर आंखो से कहो
सुबकते ख्वाब को महकता गुलाब कहो
शाम के धुंधलके को सुबह का अफताब कहो
~ पुर्दिल