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20 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
“मनुज” प्रकृति का प्रकोप है यह सारा,

विषाणु करें भयभीत फिरे मारा -मारा ,

पृथ्वी के नियमों का किया है बहिष्कार,

सोच विकल्प समय से अब क्यों तू है हारा ।।

✍©️
अरुणा डोगरा शर्मा मोहाली

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 633 Views
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