मुक्तक
ऐ मेरे ईश्वर ! न शोहरत,न दौलत
न सारे जहाँ का प्यार माँगता हूँ
न गाड़ी न बंगला , न चाहत
किसी का बेशुमार मांगता हूं
बस इतनी सी दुआ कुबूल हो मालिक
मरू जब भी, कही भी, क़भी भी
कफ़न तिरंगा हर बार माँगता हूँ
ऐ मेरे ईश्वर ! न शोहरत,न दौलत
न सारे जहाँ का प्यार माँगता हूँ
न गाड़ी न बंगला , न चाहत
किसी का बेशुमार मांगता हूं
बस इतनी सी दुआ कुबूल हो मालिक
मरू जब भी, कही भी, क़भी भी
कफ़न तिरंगा हर बार माँगता हूँ