मुक्तक
जाना तेरे शहर की खुशबू को हम दिल में लिए चलते है
हम आज फिर एक और सफ़र पे तनहा ही निकलते हैं
तेरे याद की अंगनाई में हम यूं ही घुमा फीरा करते हैं
तेरे यादों के स्नेह सुमन को अंक में लिए हम चलते हैं
~ सिद्धार्थ
2.
हम ने तुम को समझाया है
सहरा में नहीं घुमा करते है
कांटों के घनेरी जंगल को
उठा उठा के चूमा नहीं करते हैं
~ सिद्धार्थ