मुक्तक
होकर दूर तुमसे मैं जाऊँगा कहाँ?
अश्कों को पलकों में छुपाऊँगा कहाँ?
बेहिसाब गम हैं मौजूद जिन्दगी में,
मंजिलें नसीब से मैं पाऊँगा कहाँ?
#महादेव_की_कविताऐं'(22)
होकर दूर तुमसे मैं जाऊँगा कहाँ?
अश्कों को पलकों में छुपाऊँगा कहाँ?
बेहिसाब गम हैं मौजूद जिन्दगी में,
मंजिलें नसीब से मैं पाऊँगा कहाँ?
#महादेव_की_कविताऐं'(22)