मुक्तक
मेरी उल्फ़त मिटाना चाहता है
कि मुझ्को आज़माना चाहता है
जला कर दिल भी शायद ख़ुश नहीं वो
मुझे पल पल जलाना चाहता है
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
मेरी उल्फ़त मिटाना चाहता है
कि मुझ्को आज़माना चाहता है
जला कर दिल भी शायद ख़ुश नहीं वो
मुझे पल पल जलाना चाहता है
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)