मुक्तक
ये ग़म ज़िंदगी का किसे सुनाया जाए
तल्ख अफसाना किसे पढ़ाया जाए।
एक होता तो कुछ हिम्मत भी करते
खार कौन सा दामन से हटाया जाए।।
ये ग़म ज़िंदगी का किसे सुनाया जाए
तल्ख अफसाना किसे पढ़ाया जाए।
एक होता तो कुछ हिम्मत भी करते
खार कौन सा दामन से हटाया जाए।।