मुक्तक
1.
दिल फूंका, जज्बात फूंका, दिल में दबा ख्वाब फूंका
सब फूंका – फूंका हुआ ही मुझ में रखा है
सब फूंका चीज अक्सर राख नहीं होता
सोना जले फिर भी वो ख़ाक नहीं होता
~ सिद्धार्थ
2.
मनुष्य के रक्त में डूबे
मनुष्य के बाहु को हम
रक्षकामी बाहु कह नहीं सकते
~ सिद्धार्थ