मुक्तक
…. अश्रुनाद मुक्तक सड़्ग्रह ….
जब शीत सघन मुस्काता
जग में निहार छा जाता
अपने दिनकर का दिन में
मैं किञ्चित दर्श न पाता
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ
…. अश्रुनाद मुक्तक सड़्ग्रह ….
जब शीत सघन मुस्काता
जग में निहार छा जाता
अपने दिनकर का दिन में
मैं किञ्चित दर्श न पाता
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ