मुक्तक
मौत बाँटता सबको ज़िन्दगी नहीं देता
ज़ह्र ये नशा ऐसा जो खुशी नहीं देता
छूना मत इसे यारों चाहे ग़म हजारों हों
ये दिया है जो “प्रीतम” रौशनी नहीं देता
प्रीतम राठौर भिनगाई
मौत बाँटता सबको ज़िन्दगी नहीं देता
ज़ह्र ये नशा ऐसा जो खुशी नहीं देता
छूना मत इसे यारों चाहे ग़म हजारों हों
ये दिया है जो “प्रीतम” रौशनी नहीं देता
प्रीतम राठौर भिनगाई