अरमान दिलों का तोड़ चला।
जब उसने दुत्कारा मुझ को,अरमान दिलों का तोड़ चला।
जीवन के सब रंगी मौसम,तब साथ हमारा छोड़ चला।
नभ में सन्नाटा-सा छाया,बस दुख का बादल घेर लिया-
जाने क्या उस को भरम हुआ,मुख सत्य प्रेम से मोड़ चला।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
जब उसने दुत्कारा मुझ को,अरमान दिलों का तोड़ चला।
जीवन के सब रंगी मौसम,तब साथ हमारा छोड़ चला।
नभ में सन्नाटा-सा छाया,बस दुख का बादल घेर लिया-
जाने क्या उस को भरम हुआ,मुख सत्य प्रेम से मोड़ चला।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली