मुक्तक
भूले से भी कभी हद ये पार मत करना,
हमारी जिन्दगी को शर्मसार मत करना,
लहू हमारा मुफ्त में ही तोल दो लेकिन
ज़मीर बेचने का कारोबार मत करना।
भूले से भी कभी हद ये पार मत करना,
हमारी जिन्दगी को शर्मसार मत करना,
लहू हमारा मुफ्त में ही तोल दो लेकिन
ज़मीर बेचने का कारोबार मत करना।