मुक्तक
शाम का ही सोया सूरज शब भर का प्यासा था
चिल्का के जगने से पहले वो प्यास बुझाने आया था
नरम आग हांथों में लेकर धीरे धीरे गरमाने वाला था
जीवन हाथों में देकर देह जलाकर प्यास बुझाने आया था
जलने जलाने और प्यास बुझाने की वो तो अभिनव …
तस्वीर खिंचवाने आया था सूरज प्यास बुझाने आया था
~ सिद्धार्थ