Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2019 · 1 min read

मुक्तक

हम जो लिखते रहे तुम मिटाते रहे,
लफ्ज़ो के फासले तुम बढ़ाते रहे,
सबने देखी हमारी हंसी और हम-
आंसुओं से स्वयं को छुपाते रहे।

Language: Hindi
201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
Shashi kala vyas
2371.पूर्णिका
2371.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
Shyam Sundar Subramanian
बुश का बुर्का
बुश का बुर्का
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मैं आँखों से जो कह दूं,
मैं आँखों से जो कह दूं,
Swara Kumari arya
हैप्पी न्यू ईयर 2024
हैप्पी न्यू ईयर 2024
Shivkumar Bilagrami
अतिथि हूं......
अतिथि हूं......
Ravi Ghayal
"सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
भार्या
भार्या
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
रिश्तें मे मानव जीवन
रिश्तें मे मानव जीवन
Anil chobisa
* धन्य अयोध्याधाम है *
* धन्य अयोध्याधाम है *
surenderpal vaidya
बचपन
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
माँ की अभिलाषा 🙏
माँ की अभिलाषा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
शेखर सिंह
दलदल
दलदल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
गुज़िश्ता साल
गुज़िश्ता साल
Dr.Wasif Quazi
शिष्टाचार
शिष्टाचार
लक्ष्मी सिंह
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
Ravi Prakash
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
सिर्फ लिखती नही कविता,कलम को कागज़ पर चलाने के लिए //
सिर्फ लिखती नही कविता,कलम को कागज़ पर चलाने के लिए //
गुप्तरत्न
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
कवि दीपक बवेजा
साइकिल चलाने से प्यार के वो दिन / musafir baitha
साइकिल चलाने से प्यार के वो दिन / musafir baitha
Dr MusafiR BaithA
" सुर्ख़ गुलाब "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Needs keep people together.
Needs keep people together.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पढ़ना जरूर
पढ़ना जरूर
पूर्वार्थ
तू होती तो
तू होती तो
Satish Srijan
#सामयिक_व्यंग्य...
#सामयिक_व्यंग्य...
*Author प्रणय प्रभात*
जनाजे में तो हम शामिल हो गए पर उनके पदचिन्हों पर ना चलके अपन
जनाजे में तो हम शामिल हो गए पर उनके पदचिन्हों पर ना चलके अपन
DrLakshman Jha Parimal
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
manisha
Loading...