मुक्तक
1.
समय को बांधने का हुनर यहां किस ने सीख़ रख़ा है
वो कौन है जिस ने जहां में नहीं जहर को चख रखा है !
…सिद्धार्थ
2.
गरम खून को जो तुम
पानी जैसे बहाओगे
क्या लगता है तुमको
ज्वालामुखी के मुंह को
डंडे से बंद कैसे करपाओगे ?
वो भड़- भड़-भड़ भड़केगा
गगन चुम्बी लपटें उस से उठेंगी
सत्ता के गलियारों से
तुम्हारे अनर्गल व्यवहारों को
शोलों से फिर कौन बचाएगा …
…सिद्धार्थ