मुक्तक
मज़ा मिलता है जिनको दूसरों का दिल दुखाने में,
हमारा क्या वो हो जाएँगे रुस्वा ख़ुद ज़माने में,
अजब दस्तूर है दुनिया की भूले याद करते फिर
वो ही रोने लगे मशगूल थे जो मुस्कुराने में
मज़ा मिलता है जिनको दूसरों का दिल दुखाने में,
हमारा क्या वो हो जाएँगे रुस्वा ख़ुद ज़माने में,
अजब दस्तूर है दुनिया की भूले याद करते फिर
वो ही रोने लगे मशगूल थे जो मुस्कुराने में