मुक्तक
1. 8.11.2019
जागती आंखों के मेरे सपने से जाके कह दो
मेरा नींद मेरा चैन ले गया
सुबह से रात तक को सुलगता ख़्वाब कर गया।
…सिद्धार्थ
2.
कभी किताबों से चेहरा उठा कर भी देखो
जिंदगी की रेशमी आयतों में
कभी खुद को तुम उलझा कर भी तो देखो !
…सिद्धार्थ
3.
तुझे हर गली, हर कूचे में ढूंढा तू कहीं नहीं दीखता है
खुद में तलाशा तू मुझ में ही प्यार बन बिखरा रहता है !
…सिद्धार्थ
4.
“लबरा के खदेड़ मारी”
का अर्थ कोई बता सकता है..???
/
हम तो बता सकते हैं, मगर आप को हम बताएंगे नहीं,
किसी को खदेड़ना पड़ेगा हम अकेले खदेड़ पाएंगे नहीं।
…सिद्धार्थ