मुक्तक
जब राजा सत्ता-सिरमौर था,
तब राजशाही का दौर था।
आज सत्ता पर वही आसीन है,
कल जिसका ना कोई ठौर था।।
भीड़तंत्र का बोलबाला है,
नित दिन होता घोटाला है।
गरीब, बेबस, लाचारों को,
अब मिलता नहीं निवाला है।।
©️रानी सिंह
पूर्णियां,बिहार
जब राजा सत्ता-सिरमौर था,
तब राजशाही का दौर था।
आज सत्ता पर वही आसीन है,
कल जिसका ना कोई ठौर था।।
भीड़तंत्र का बोलबाला है,
नित दिन होता घोटाला है।
गरीब, बेबस, लाचारों को,
अब मिलता नहीं निवाला है।।
©️रानी सिंह
पूर्णियां,बिहार