मुक्तक
मुहब्बत रेजगारी है क्या, जो खर्च हो जाय
मुहब्बत तो रुह में बसी खुशी है
जो जितनी खर्च हो सूद उतना ही बढ़ता जाय !
…पुर्दिल
२.
तुम रोज-रोज यादों में यूँ न इतराया करो
कुछ मोहलत लिया करो
रोज-रोज का मिलना दिल ऊबा देता है पुर्दिल !
…पुर्दिल
मुहब्बत रेजगारी है क्या, जो खर्च हो जाय
मुहब्बत तो रुह में बसी खुशी है
जो जितनी खर्च हो सूद उतना ही बढ़ता जाय !
…पुर्दिल
२.
तुम रोज-रोज यादों में यूँ न इतराया करो
कुछ मोहलत लिया करो
रोज-रोज का मिलना दिल ऊबा देता है पुर्दिल !
…पुर्दिल